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Sura 9
Aya 5
5
فَإِذَا انسَلَخَ الأَشهُرُ الحُرُمُ فَاقتُلُوا المُشرِكينَ حَيثُ وَجَدتُموهُم وَخُذوهُم وَاحصُروهُم وَاقعُدوا لَهُم كُلَّ مَرصَدٍ ۚ فَإِن تابوا وَأَقامُوا الصَّلاةَ وَآتَوُا الزَّكاةَ فَخَلّوا سَبيلَهُم ۚ إِنَّ اللَّهَ غَفورٌ رَحيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

फिर जब हुरमत के चार महीने गुज़र जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ पाओ (बे ताम्मुल) कत्ल करो और उनको गिरफ्तार कर लो और उनको कैद करो और हर घात की जगह में उनकी ताक में बैठो फिर अगर वह लोग (अब भी शिर्क से) बाज़ आऎं और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दे तो उनकी राह छोड़ दो (उनसे ताअरूज़ न करो) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है