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Sura 9
Aya 40
40
إِلّا تَنصُروهُ فَقَد نَصَرَهُ اللَّهُ إِذ أَخرَجَهُ الَّذينَ كَفَروا ثانِيَ اثنَينِ إِذ هُما فِي الغارِ إِذ يَقولُ لِصاحِبِهِ لا تَحزَن إِنَّ اللَّهَ مَعَنا ۖ فَأَنزَلَ اللَّهُ سَكينَتَهُ عَلَيهِ وَأَيَّدَهُ بِجُنودٍ لَم تَرَوها وَجَعَلَ كَلِمَةَ الَّذينَ كَفَرُوا السُّفلىٰ ۗ وَكَلِمَةُ اللَّهِ هِيَ العُليا ۗ وَاللَّهُ عَزيزٌ حَكيمٌ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

यदि तुम उसकी सहायता न भी करो तो अल्लाह उसकी सहायता उस समय कर चुका है जब इनकार करनेवालों ने उसे इस स्थिति में निकाला कि वह केवल दो में का दूसरा था, जब वे दोनों गुफ़ा में थे। जबकि वह अपने साथी से कह रहा था, "शोकाकुल न हो। अवश्यमेव अल्लाह हमारे साथ है।" फिर अल्लाह ने उसपर अपनी ओर से सकीनत (प्रशान्ति) उतारी और उसकी सहायता ऐसी सेनाओं से की जिन्हें तुम देख न सके और इनकार करनेवालों का बोल नीचा कर दिया, बोल तो अल्लाह ही का ऊँचा रहता है। अल्लाह अत्यन्त प्रभुत्वशील, तत्वदर्शी है