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Sura 9
Aya 24
24
قُل إِن كانَ آباؤُكُم وَأَبناؤُكُم وَإِخوانُكُم وَأَزواجُكُم وَعَشيرَتُكُم وَأَموالٌ اقتَرَفتُموها وَتِجارَةٌ تَخشَونَ كَسادَها وَمَساكِنُ تَرضَونَها أَحَبَّ إِلَيكُم مِنَ اللَّهِ وَرَسولِهِ وَجِهادٍ في سَبيلِهِ فَتَرَبَّصوا حَتّىٰ يَأتِيَ اللَّهُ بِأَمرِهِ ۗ وَاللَّهُ لا يَهدِي القَومَ الفاسِقينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल) तुम कह दो तुम्हारे बाप दादा और तुम्हारे बेटे और तुम्हारे भाई बन्द और तुम्हारी बीबियाँ और तुम्हारे कुनबे वाले और वह माल जो तुमने कमा के रख छोड़ा हैं और वह तिजारत जिसके मन्द पड़ जाने का तुम्हें अन्देशा है और वह मकानात जिन्हें तुम पसन्द करते हो अगर तुम्हें ख़ुदा से और उसके रसूल से और उसकी राह में जिहाद करने से ज्यादा अज़ीज़ है तो तुम ज़रा ठहरो यहाँ तक कि ख़ुदा अपना हुक्म (अज़ाब) मौजूद करे और ख़ुदा नाफरमान लोगों की हिदायत नहीं करता