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Sura 9
Aya 107
107
وَالَّذينَ اتَّخَذوا مَسجِدًا ضِرارًا وَكُفرًا وَتَفريقًا بَينَ المُؤمِنينَ وَإِرصادًا لِمَن حارَبَ اللَّهَ وَرَسولَهُ مِن قَبلُ ۚ وَلَيَحلِفُنَّ إِن أَرَدنا إِلَّا الحُسنىٰ ۖ وَاللَّهُ يَشهَدُ إِنَّهُم لَكاذِبونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (वह लोग भी मुनाफिक़ हैं) जिन्होने (मुसलमानों के) नुकसान पहुंचाने और कुफ़्र करने वाले और मोमिनीन के दरमियान तफरक़ा (फूट) डालते और उस शख़्स की घात में बैठने के वास्ते मस्जिद बनाकर खड़ी की है जो ख़ुदा और उसके रसूल से पहले लड़ चुका है (और लुत्फ़ तो ये है कि) ज़रूर क़समें खाएगें कि हमने भलाई के सिवा कुछ और इरादा ही नहीं किया और ख़ुदा ख़ुद गवाही देता है