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Sura 71
Aya 28
28
رَبِّ اغفِر لي وَلِوالِدَيَّ وَلِمَن دَخَلَ بَيتِيَ مُؤمِنًا وَلِلمُؤمِنينَ وَالمُؤمِناتِ وَلا تَزِدِ الظّالِمينَ إِلّا تَبارًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

"ऐ मेरे रब! मुझे क्षमा कर दे और मेरे माँ-बाप को भी और हर उस व्यक्ति को भी जो मेरे घर में ईमानवाला बन कर दाख़िल हुआ और (सामान्य) ईमानवाले पुरुषों और ईमानवाली स्त्रियों को भी (क्षमा कर दे), और ज़ालिमों के विनाश को ही बढ़ा।"