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Sura 7
Aya 85
85
وَإِلىٰ مَديَنَ أَخاهُم شُعَيبًا ۗ قالَ يا قَومِ اعبُدُوا اللَّهَ ما لَكُم مِن إِلٰهٍ غَيرُهُ ۖ قَد جاءَتكُم بَيِّنَةٌ مِن رَبِّكُم ۖ فَأَوفُوا الكَيلَ وَالميزانَ وَلا تَبخَسُوا النّاسَ أَشياءَهُم وَلا تُفسِدوا فِي الأَرضِ بَعدَ إِصلاحِها ۚ ذٰلِكُم خَيرٌ لَكُم إِن كُنتُم مُؤمِنينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (हमने) मदयन (वालों के) पास उनके भाई शुएब को (रसूल बनाकर भेजा) तो उन्होंने (उन लोगों से) कहा ऐ मेरी क़ौम ख़ुदा ही की इबादत करो उसके सिवा कोई दूसरा माबूद नहीं (और) तुम्हारे पास तो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से एक वाजेए व रौशन मौजिज़ा (भी) आ चुका तो नाप और तौल पूरी किया करो और लोगों को उनकी (ख़रीदी हुई) चीज़ में कम न दिया करो और ज़मीन में उसकी असलाह व दुरूस्ती के बाद फसाद न करते फिरो अगर तुम सच्चे ईमानदार हो तो यही तुम्हारे हक़ में बेहतर है