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Sura 7
Aya 37
37
فَمَن أَظلَمُ مِمَّنِ افتَرىٰ عَلَى اللَّهِ كَذِبًا أَو كَذَّبَ بِآياتِهِ ۚ أُولٰئِكَ يَنالُهُم نَصيبُهُم مِنَ الكِتابِ ۖ حَتّىٰ إِذا جاءَتهُم رُسُلُنا يَتَوَفَّونَهُم قالوا أَينَ ما كُنتُم تَدعونَ مِن دونِ اللَّهِ ۖ قالوا ضَلّوا عَنّا وَشَهِدوا عَلىٰ أَنفُسِهِم أَنَّهُم كانوا كافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

अब उससे बढ़कर अत्याचारी कौन है, जिसने अल्लाह पर मिथ्यारोपण किया या उसकी आयतों को झुठलाया? ऐसे लोगों को उनके लिए लिखा हुआ हिस्सा पहुँचता रहेगा, यहाँ तक कि जब हमारे भेजे हुए (फ़रिश्ते) उनके प्राण ग्रस्त करने के लिए उनके पास आएँगे तो कहेंगे, "कहाँ हैं, वे जिन्हें तुम अल्लाह को छोड़कर पुकारते थे?" कहेंगे, "वे तो हमसे गुम हो गए।" और वे स्वयं अपने विरुद्ध गवाही देंगे कि वास्तव में वे इनकार करनेवाले थे