192وَلا يَستَطيعونَ لَهُم نَصرًا وَلا أَنفُسَهُم يَنصُرونَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदऔर वे न तो उनकी सहायता करने की सामर्थ्य रखते है और न स्वयं अपनी ही सहायता कर सकते है?