161وَإِذ قيلَ لَهُمُ اسكُنوا هٰذِهِ القَريَةَ وَكُلوا مِنها حَيثُ شِئتُم وَقولوا حِطَّةٌ وَادخُلُوا البابَ سُجَّدًا نَغفِر لَكُم خَطيئَاتِكُم ۚ سَنَزيدُ المُحسِنينَफ़ारूक़ ख़ान & नदवीऔर जब उनसे कहा गया कि उस गाँव में जाकर रहो सहो और उसके मेवों से जहाँ तुम्हारा जी चाहे (शौक़ से) खाओ (पियो) और मुँह से हुतमा कहते और सजदा करते हुए दरवाजे में दाखिल हो तो हम तुम्हारी ख़ताए बख्श देगें और नेकी करने वालों को हम कुछ ज्यादा ही देगें