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Sura 6
Aya 35
35
وَإِن كانَ كَبُرَ عَلَيكَ إِعراضُهُم فَإِنِ استَطَعتَ أَن تَبتَغِيَ نَفَقًا فِي الأَرضِ أَو سُلَّمًا فِي السَّماءِ فَتَأتِيَهُم بِآيَةٍ ۚ وَلَو شاءَ اللَّهُ لَجَمَعَهُم عَلَى الهُدىٰ ۚ فَلا تَكونَنَّ مِنَ الجاهِلينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

अगरचे उन लोगों की रदगिरदानी (मुँह फेरना) तुम पर शाक़ ज़रुर है (लेकिन) अगर तुम्हारा बस चले तो ज़मीन के अन्दर कोई सुरगं ढँढ निकालो या आसमान में सीढ़ी लगाओ और उन्हें कोई मौजिज़ा ला दिखाओ (तो ये भी कर देखो) अगर ख़ुदा चाहता तो उन सब को राहे रास्त पर इकट्ठा कर देता (मगर वह तो इम्तिहान करता है) बस (देखो) तुम हरगिज़ ज़ालिमों में (शामिल) न होना