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Sura 6
Aya 148
148
سَيَقولُ الَّذينَ أَشرَكوا لَو شاءَ اللَّهُ ما أَشرَكنا وَلا آباؤُنا وَلا حَرَّمنا مِن شَيءٍ ۚ كَذٰلِكَ كَذَّبَ الَّذينَ مِن قَبلِهِم حَتّىٰ ذاقوا بَأسَنا ۗ قُل هَل عِندَكُم مِن عِلمٍ فَتُخرِجوهُ لَنا ۖ إِن تَتَّبِعونَ إِلَّا الظَّنَّ وَإِن أَنتُم إِلّا تَخرُصونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

बहुदेववादी कहेंगे, "यदि अल्लाह चाहता तो न हम साझीदार ठहराते और न हमारे पूर्वज ही; और न हम किसी चीज़ को (बिना अल्लाह के आदेश के) हराम ठहराते।" ऐसे ही उनसे पहले के लोगों ने भी झुठलाया था, यहाँ तक की उन्हें हमारी यातना का मज़ा चखना पड़ा। कहो, "क्या तुम्हारे पास कोई ज्ञान है कि उसे हमारे पास पेश करो? तुम लोग केवल गुमान पर चलते हो और निरे अटकल से काम लेते हो।"