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Sura 5
Aya 84
84
وَما لَنا لا نُؤمِنُ بِاللَّهِ وَما جاءَنا مِنَ الحَقِّ وَنَطمَعُ أَن يُدخِلَنا رَبُّنا مَعَ القَومِ الصّالِحينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और हमको क्या हो गया है कि हम ख़ुदा और जो हक़ बात हमारे पास आ चुकी है उस पर तो ईमान न लाएँ और (फिर) ख़ुदा से उम्मीद रखें कि वह अपने नेक बन्दों के साथ हमें (बेहिश्त में) पहुँचा ही देगा