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Sura 5
Aya 81
81
وَلَو كانوا يُؤمِنونَ بِاللَّهِ وَالنَّبِيِّ وَما أُنزِلَ إِلَيهِ مَا اتَّخَذوهُم أَولِياءَ وَلٰكِنَّ كَثيرًا مِنهُم فاسِقونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और यदि वे अल्लाह और नबी पर और उस चीज़ पर ईमान लाते, जो उसकी ओर अवतरित हुईस तो वे उनको मित्र न बनाते। किन्तु उनमें अधिकतर अवज्ञाकारी है