You are here: Home » Chapter 35 » Verse 43 » Translation
Sura 35
Aya 43
43
استِكبارًا فِي الأَرضِ وَمَكرَ السَّيِّئِ ۚ وَلا يَحيقُ المَكرُ السَّيِّئُ إِلّا بِأَهلِهِ ۚ فَهَل يَنظُرونَ إِلّا سُنَّتَ الأَوَّلينَ ۚ فَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَبديلًا ۖ وَلَن تَجِدَ لِسُنَّتِ اللَّهِ تَحويلًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

हालाँकि बुरी चाल अपने ही लोगों को घेर लेती है। तो अब क्या जो रीति अगलों के सिलसिले में रही है वे बस उसी रीति की प्रतिक्षा कर रहे है? तो तुम अल्लाह की रीति में कदापि कोई परिवर्तन न पाओगे और न तुम अल्लाह की रीति को कभी टलते ही पाओगे