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Sura 35
Aya 18
18
وَلا تَزِرُ وازِرَةٌ وِزرَ أُخرىٰ ۚ وَإِن تَدعُ مُثقَلَةٌ إِلىٰ حِملِها لا يُحمَل مِنهُ شَيءٌ وَلَو كانَ ذا قُربىٰ ۗ إِنَّما تُنذِرُ الَّذينَ يَخشَونَ رَبَّهُم بِالغَيبِ وَأَقامُوا الصَّلاةَ ۚ وَمَن تَزَكّىٰ فَإِنَّما يَتَزَكّىٰ لِنَفسِهِ ۚ وَإِلَى اللَّهِ المَصيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

कोई बोझ उठानेवाला किसी दूसरे का बोझ न उठाएगा। और यदि कोई कोई से दबा हुआ व्यक्ति अपना बोझ उठाने के लिए पुकारे तो उसमें से कुछ भी न उठाया, यद्यपि वह निकट का सम्बन्धी ही क्यों न हो। तुम तो केवल सावधान कर रहे हो। जो परोक्ष में रहते हुए अपने रब से डरते हैं और नमाज़ के पाबन्द हो चुके है (उनकी आत्मा का विकास हो गया) । और जिसने स्वयं को विकसित किया वह अपने ही भले के लिए अपने आपको विकसित करेगा। और पलटकर जाना तो अल्लाह ही की ओर है