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Sura 34
Aya 23
23
وَلا تَنفَعُ الشَّفاعَةُ عِندَهُ إِلّا لِمَن أَذِنَ لَهُ ۚ حَتّىٰ إِذا فُزِّعَ عَن قُلوبِهِم قالوا ماذا قالَ رَبُّكُم ۖ قالُوا الحَقَّ ۖ وَهُوَ العَلِيُّ الكَبيرُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

जिसके लिए वह खुद इजाज़त अता फ़रमाए उसके सिवा कोई सिफारिश उसकी बारगाह में काम न आएगी (उसके दरबार की हैबत) यहाँ तक (है) कि जब (शिफ़ाअत का) हुक्म होता है तो शिफ़ाअत करने वाले बेहोश हो जाते हैं फिर तब उनके दिलों की घबराहट दूर कर दी जाती है तो पूछते हैं कि तुम्हारे परवरदिगार ने क्या हुक्म दिया