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Sura 34
Aya 13
13
يَعمَلونَ لَهُ ما يَشاءُ مِن مَحاريبَ وَتَماثيلَ وَجِفانٍ كَالجَوابِ وَقُدورٍ راسِياتٍ ۚ اعمَلوا آلَ داوودَ شُكرًا ۚ وَقَليلٌ مِن عِبادِيَ الشَّكورُ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ग़रज़ सुलेमान को जो बनवाना मंज़ूर होता ये जिन्नात उनके लिए बनाते थे (जैसे) मस्जिदें, महल, क़िले और (फरिश्ते अम्बिया की) तस्वीरें और हौज़ों के बराबर प्याले और (एक जगह) गड़ी हुई (बड़ी बड़ी) देग़ें (कि एक हज़ार आदमी का खाना पक सके) ऐ दाऊद की औलाद शुक्र करते रहो और मेरे बन्दों में से शुक्र करने वाले (बन्दे) थोड़े से हैं