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Sura 33
Aya 6
6
النَّبِيُّ أَولىٰ بِالمُؤمِنينَ مِن أَنفُسِهِم ۖ وَأَزواجُهُ أُمَّهاتُهُم ۗ وَأُولُو الأَرحامِ بَعضُهُم أَولىٰ بِبَعضٍ في كِتابِ اللَّهِ مِنَ المُؤمِنينَ وَالمُهاجِرينَ إِلّا أَن تَفعَلوا إِلىٰ أَولِيائِكُم مَعروفًا ۚ كانَ ذٰلِكَ فِي الكِتابِ مَسطورًا

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

नबी का हक़ ईमानवालों पर स्वयं उनके अपने प्राणों से बढ़कर है। और उसकी पत्नियों उनकी माएँ है। और अल्लाह के विधान के अनुसार सामान्य मोमिनों और मुहाजिरों की अपेक्षा नातेदार आपस में एक-दूसरे से अधिक निकट है। यह और बात है कि तुम अपने साथियों के साथ कोई भलाई करो। यह बात किताब में लिखी हुई है