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Sura 33
Aya 36
36
وَما كانَ لِمُؤمِنٍ وَلا مُؤمِنَةٍ إِذا قَضَى اللَّهُ وَرَسولُهُ أَمرًا أَن يَكونَ لَهُمُ الخِيَرَةُ مِن أَمرِهِم ۗ وَمَن يَعصِ اللَّهَ وَرَسولَهُ فَقَد ضَلَّ ضَلالًا مُبينًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और न किसी ईमानदार मर्द को ये मुनासिब है और न किसी ईमानदार औरत को जब खुदा और उसके रसूल किसी काम का हुक्म दें तो उनको अपने उस काम (के करने न करने) अख़तेयार हो और (याद रहे कि) जिस शख्स ने खुदा और उसके रसूल की नाफरमानी की वह यक़ीनन खुल्लम खुल्ला गुमराही में मुब्तिला हो चुका