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Sura 33
Aya 32
32
يا نِساءَ النَّبِيِّ لَستُنَّ كَأَحَدٍ مِنَ النِّساءِ ۚ إِنِ اتَّقَيتُنَّ فَلا تَخضَعنَ بِالقَولِ فَيَطمَعَ الَّذي في قَلبِهِ مَرَضٌ وَقُلنَ قَولًا مَعروفًا

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ऐ नबी की बीवियों तुम और मामूली औरतों की सी तो हो वही (बस) अगर तुम को परहेज़गारी मंजूर रहे तो (अजनबी आदमी से) बात करने में नरम नरम (लगी लिपटी) बात न करो ताकि जिसके दिल में (शहवते ज़िना का) मर्ज़ है वह (कुछ और) इरादा (न) करे