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Sura 3
Aya 97
97
فيهِ آياتٌ بَيِّناتٌ مَقامُ إِبراهيمَ ۖ وَمَن دَخَلَهُ كانَ آمِنًا ۗ وَلِلَّهِ عَلَى النّاسِ حِجُّ البَيتِ مَنِ استَطاعَ إِلَيهِ سَبيلًا ۚ وَمَن كَفَرَ فَإِنَّ اللَّهَ غَنِيٌّ عَنِ العالَمينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

इसमें (हुरमत की) बहुत सी वाज़े और रौशन निशानियॉ हैं (उनमें से) मुक़ाम इबराहीम है (जहॉ आपके क़दमों का पत्थर पर निशान है) और जो इस घर में दाख़िल हुआ अमन में आ गया और लोगों पर वाजिब है कि महज़ ख़ुदा के लिए ख़ानाए काबा का हज करें जिन्हे वहां तक पहुँचने की इस्तेताअत है और जिसने बावजूद कुदरत हज से इन्कार किया तो (याद रखे) कि ख़ुदा सारे जहॉन से बेपरवा है