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Sura 3
Aya 75
75
۞ وَمِن أَهلِ الكِتابِ مَن إِن تَأمَنهُ بِقِنطارٍ يُؤَدِّهِ إِلَيكَ وَمِنهُم مَن إِن تَأمَنهُ بِدينارٍ لا يُؤَدِّهِ إِلَيكَ إِلّا ما دُمتَ عَلَيهِ قائِمًا ۗ ذٰلِكَ بِأَنَّهُم قالوا لَيسَ عَلَينا فِي الأُمِّيّينَ سَبيلٌ وَيَقولونَ عَلَى اللَّهِ الكَذِبَ وَهُم يَعلَمونَ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

और किताबवालों में कोई तो ऐसा है कि यदि तुम उसके पास धन-दौलच का एक ढेर भी अमानत रख दो तो वह उसे तुम्हें लौटा देगा। और उनमें कोई ऐसा है कि यदि तुम एक दीनार भी उसकी अमानत में रखों, तो जब तक कि तुम उसके सिर पर सवार न हो, वह उसे तुम्हें अदा नहीं करेगा। यह इसलिए कि वे कहते है, "उन लोगों के विषय में जो किताबवाले नहीं हैं हमारी कोई पकड़ नहीं।" और वे जानते-बूझते अल्लाह पर झूठ मढ़ते है