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Sura 3
Aya 147
147
وَما كانَ قَولَهُم إِلّا أَن قالوا رَبَّنَا اغفِر لَنا ذُنوبَنا وَإِسرافَنا في أَمرِنا وَثَبِّت أَقدامَنا وَانصُرنا عَلَى القَومِ الكافِرينَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और लुत्फ़ ये है कि उनका क़ौल इसके सिवा कुछ न था कि दुआएं मॉगने लगें कि ऐ हमारे पालने वाले हमारे गुनाह और अपने कामों में हमारी ज्यादतियॉ माफ़ कर और दुश्मनों के मुक़ाबले में हमको साबित क़दम रख और काफ़िरों के गिरोह पर हमको फ़तेह दे