147وَما كانَ قَولَهُم إِلّا أَن قالوا رَبَّنَا اغفِر لَنا ذُنوبَنا وَإِسرافَنا في أَمرِنا وَثَبِّت أَقدامَنا وَانصُرنا عَلَى القَومِ الكافِرينَफ़ारूक़ ख़ान & अहमदउन्होंने कुछ नहीं कहा सिवाय इसके कि "ऐ हमारे रब! तू हमारे गुनाहों को और हमारे अपने मामले में जो ज़्यादती हमसे हो गई हो, उसे क्षमा कर दे और हमारे क़दम जमाए रख, और इनकार करनेवाले लोगों के मुक़ाबले में हमारी सहायता कर।"