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Sura 3
Aya 119
119
ها أَنتُم أُولاءِ تُحِبّونَهُم وَلا يُحِبّونَكُم وَتُؤمِنونَ بِالكِتابِ كُلِّهِ وَإِذا لَقوكُم قالوا آمَنّا وَإِذا خَلَوا عَضّوا عَلَيكُمُ الأَنامِلَ مِنَ الغَيظِ ۚ قُل موتوا بِغَيظِكُم ۗ إِنَّ اللَّهَ عَليمٌ بِذاتِ الصُّدورِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ऐ लोगों तुम ऐसे (सीधे) हो कि तुम उनसे उलफ़त रखतो हो और वह तुम्हें (ज़रा भी) नहीं चाहते और तुम तो पूरी किताब (ख़ुदा) पर ईमान रखते हो और वह ऐसे नहीं हैं (मगर) जब तुमसे मिलते हैं तो कहने लगते हैं कि हम भी ईमान लाए और जब अकेले में होते हैं तो तुम पर गुस्से के मारे उंगलियों काटते हैं (ऐ रसूल) तुम कह दो कि (काटना क्या) तुम अपने गुस्से में जल मरो जो बातें तुम्हारे दिलों में हैं बेशक ख़ुदा ज़रूर जानता है