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Sura 13
Aya 36
36
وَالَّذينَ آتَيناهُمُ الكِتابَ يَفرَحونَ بِما أُنزِلَ إِلَيكَ ۖ وَمِنَ الأَحزابِ مَن يُنكِرُ بَعضَهُ ۚ قُل إِنَّما أُمِرتُ أَن أَعبُدَ اللَّهَ وَلا أُشرِكَ بِهِ ۚ إِلَيهِ أَدعو وَإِلَيهِ مَآبِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

और (ए रसूल) जिन लोगों को हमने किताब दी है वह तो जो (एहकाम) तुम्हारे पास नाज़िल किए गए हैं सब ही से खुश होते हैं और बाज़ फिरके उसकी बातों से इन्कार करते हैं तुम (उनसे) कह दो कि (तुम मानो या न मानो) मुझे तो ये हुक्म दिया गया है कि मै ख़ुदा ही की इबादत करु और किसी को उसका शरीक न बनाऊ मै (सब को) उसी की तरफ बुलाता हूँ और हर शख़्श को हिर फिर कर उसकी तरफ जाना है