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Sura 13
Aya 33
33
أَفَمَن هُوَ قائِمٌ عَلىٰ كُلِّ نَفسٍ بِما كَسَبَت ۗ وَجَعَلوا لِلَّهِ شُرَكاءَ قُل سَمّوهُم ۚ أَم تُنَبِّئونَهُ بِما لا يَعلَمُ فِي الأَرضِ أَم بِظاهِرٍ مِنَ القَولِ ۗ بَل زُيِّنَ لِلَّذينَ كَفَروا مَكرُهُم وَصُدّوا عَنِ السَّبيلِ ۗ وَمَن يُضلِلِ اللَّهُ فَما لَهُ مِن هادٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

क्या जो (ख़ुदा) हर एक शख़्श के आमाल की ख़बर रखता है (उनको युं ही छोड़ देगा हरगिज़ नहीं) और उन लोगों ने ख़ुदा के (दूसरे दूसरे) शरीक ठहराए (ऐ रसूल तुम उनसे कह दो कि तुम आख़िर उनके नाम तो बताओं या तुम ख़ुदा को ऐसे शरीक़ो की ख़बर देते हो जिनको वह जानता तक नहीं कि वह ज़मीन में (किधर बसते) हैं या (निरी ऊपर से बातें बनाते हैं बल्कि (असल ये है कि) काफिरों को उनकी मक्कारियाँ भली दिखाई गई है और वह (गोया) राहे रास्त से रोक दिए गए हैं और जिस शख़्श को ख़ुदा गुमराही में छोड़ दे तो उसका कोई हिदायत करने वाला नहीं