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Sura 13
Aya 33
33
أَفَمَن هُوَ قائِمٌ عَلىٰ كُلِّ نَفسٍ بِما كَسَبَت ۗ وَجَعَلوا لِلَّهِ شُرَكاءَ قُل سَمّوهُم ۚ أَم تُنَبِّئونَهُ بِما لا يَعلَمُ فِي الأَرضِ أَم بِظاهِرٍ مِنَ القَولِ ۗ بَل زُيِّنَ لِلَّذينَ كَفَروا مَكرُهُم وَصُدّوا عَنِ السَّبيلِ ۗ وَمَن يُضلِلِ اللَّهُ فَما لَهُ مِن هادٍ

फ़ारूक़ ख़ान & अहमद

भला वह (अल्लाह) जो प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर, उसकी कमाई पर निगाह रखते हुए खड़ा है (उसके समान कोई दूसरा हो सकता है)? फिर भी लोगों ने अल्लाह के सहभागी-ठहरा रखे है। कहो, "तनिक उनके नाम तो लो! (क्या तुम्हारे पास उनके पक्ष में कोई प्रमाण है?) या ऐसा है कि तुम उसे ऐसी बात की ख़बर दे रहे हो, जिसके अस्तित्व की उसे धरती भर में ख़बर नहीं? या यूँ ही यह एक ऊपरी बात ही बात है?" नहीं, बल्कि इनकार करनेवालों को उनकी मक्कारी ही सुहावनी लगती है और वे मार्ग से रुक गए है। जिसे अल्लाह ही गुमराही में छोड़ दे, उसे कोई मार्ग पर लानेवाला नहीं