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Sura 13
Aya 30
30
كَذٰلِكَ أَرسَلناكَ في أُمَّةٍ قَد خَلَت مِن قَبلِها أُمَمٌ لِتَتلُوَ عَلَيهِمُ الَّذي أَوحَينا إِلَيكَ وَهُم يَكفُرونَ بِالرَّحمٰنِ ۚ قُل هُوَ رَبّي لا إِلٰهَ إِلّا هُوَ عَلَيهِ تَوَكَّلتُ وَإِلَيهِ مَتابِ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(ऐ रसूल जिस तरह हमने और पैग़म्बर भेजे थे) उसी तरह हमने तुमको उस उम्मत में भेजा है जिससे पहले और भी बहुत सी उम्मते गुज़र चुकी हैं -ताकि तुम उनके सामने जो क़ुरान हमने वही के ज़रिए से तुम्हारे पास भेजा है उन्हें पढ़ कर सुना दो और ये लोग (कुछ तुम्हारे ही नहीं बल्कि सिरे से) ख़ुदा ही के मुन्किर हैं तुम कह दो कि वही मेरा परवरदिगार है उसके सिवा कोई माबूद नहीं मै उसी पर भरोसा रखता हूँ और उसी तरफ रुज़ू करता हूँ