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Sura 13
Aya 2
2
اللَّهُ الَّذي رَفَعَ السَّماواتِ بِغَيرِ عَمَدٍ تَرَونَها ۖ ثُمَّ استَوىٰ عَلَى العَرشِ ۖ وَسَخَّرَ الشَّمسَ وَالقَمَرَ ۖ كُلٌّ يَجري لِأَجَلٍ مُسَمًّى ۚ يُدَبِّرُ الأَمرَ يُفَصِّلُ الآياتِ لَعَلَّكُم بِلِقاءِ رَبِّكُم توقِنونَ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

ख़ुदा वही तो है जिसने आसमानों को जिन्हें तुम देखते हो बग़ैर सुतून (खम्बों) के उठाकर खड़ा कर दिया फिर अर्श (के बनाने) पर आमादा हुआ और सूरज और चाँद को (अपना) ताबेदार बनाया कि हर एक वक्त मुक़र्ररा तक चला करते है वही (दुनिया के) हर एक काम का इन्तेज़ाम करता है और इसी ग़रज़ से कि तुम लोग अपने परवरदिगार के सामने हाज़िर होने का यक़ीन करो