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Sura 13
Aya 11
11
لَهُ مُعَقِّباتٌ مِن بَينِ يَدَيهِ وَمِن خَلفِهِ يَحفَظونَهُ مِن أَمرِ اللَّهِ ۗ إِنَّ اللَّهَ لا يُغَيِّرُ ما بِقَومٍ حَتّىٰ يُغَيِّروا ما بِأَنفُسِهِم ۗ وَإِذا أَرادَ اللَّهُ بِقَومٍ سوءًا فَلا مَرَدَّ لَهُ ۚ وَما لَهُم مِن دونِهِ مِن والٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(उसके नज़दीक) सब बराबर हैं (आदमी किसी हालत में हो मगर) उस अकेले के लिए उसके आगे उसके पीछे उसके निगेहबान (फरिश्ते) मुक़र्रर हैं कि उसको हुक्म ख़ुदा से हिफाज़त करते हैं जो (नेअमत) किसी क़ौम को हासिल हो बेशक वह लोग खुद अपनी नफ्सानी हालत में तग्य्युर न डालें ख़ुदा हरगिज़ तग्य्युर नहीं डाला करता और जब ख़ुदा किसी क़ौम पर बुराई का इरादा करता है तो फिर उसका कोई टालने वाला नहीं और न उसका उसके सिवा कोई वाली और (सरपरस्त) है