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Sura 10
Aya 61
61
وَما تَكونُ في شَأنٍ وَما تَتلو مِنهُ مِن قُرآنٍ وَلا تَعمَلونَ مِن عَمَلٍ إِلّا كُنّا عَلَيكُم شُهودًا إِذ تُفيضونَ فيهِ ۚ وَما يَعزُبُ عَن رَبِّكَ مِن مِثقالِ ذَرَّةٍ فِي الأَرضِ وَلا فِي السَّماءِ وَلا أَصغَرَ مِن ذٰلِكَ وَلا أَكبَرَ إِلّا في كِتابٍ مُبينٍ

फ़ारूक़ ख़ान & नदवी

(और ऐ रसूल) तुम (चाहे) किसी हाल में हो और क़ुरान की कोई सी भी आयत तिलावत करते हो और (लोगों) तुम कोई सा भी अमल कर रहे हो हम (हम सर वक़त) जब तुम उस काम में मशग़ूल होते हो तुम को देखते रहते हैं और तुम्हारे परवरदिगार से ज़र्रा भी कोई चीज़ ग़ायब नहीं रह सकती न ज़मीन में और न आसमान में और न कोई चीज़ ज़र्रे से छोटी है और न उससे बढ़ी चीज़ मगर वह रौशन किताब लौहे महफूज़ में ज़रुर है